उत्तराखण्ड में इस बार 5 गुना ज्यादा बड़ी आग की घटनाएं

उत्तराखंड के नैनीताल के जंगल में लगी आग 5 दिन से धधक रही है। जंगलों की आग आबादी वाले क्षेत्र तक पहुंच गई है, रविवार को वायुसेना ने भीमताल झील से पानी लेकर मनोरा और भवाली रेंज में आग बुझाई। अब NDRF भी आग बुझाने में लगाई गई है। हालांकि, नैनीताल में दो से तीन जगह और चंपावत, अल्मोड़ा, पिथौड़ागढ़, बागेश्वर में एक-एक जगह आग धधक रही है।

रविवार शाम के आंकड़ों के मुताबिक, 24 घंटे में जंगल में आग की कुल 8 घटनाएं हुईं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सैटेलाइट रिकॉर्ड से बताया कि राज्य में इस महीने आग की 5710 घटनाएं हुईं, जबकि पिछले साल अप्रैल में 1046 थीं। यानी इस बार 5 गुना ज्यादा आग की घटनाएं हुईं। इनमें खेतों में पराली जलाने से लेकर बड़ी मात्रा में कूड़ा जलाने की घटनाएं भी शामिल हैं।

क्लाइमेट चेंज ने मुश्किलें बढ़ाईं
उत्तराखंड के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक कपिल कुमार जोशी ने बताया- कई प्रतिकूल परिस्थितियां आग को हवा दे रही हैं। इसमें आर्द्रता, लंबे समय सूखा मौसम, ज्यादा गर्मी, हवा की दिशा से आग बढ़ जाती है। पिछले सालों में क्लाइमेट चेंज ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। राज्य में सबसे ज्यादा पर्यटक गर्मी में आते हैं। मई में चारधाम यात्रा भी शुरू होने वाली है। ऐसे में सरकार की कोशिश है कि आग जल्द काबू हो जाए। पर्यावरण पर नजर रखने वाली संस्था क्लाइमेट ट्रेंड की पर्यावरण विद डॉ. पलक बालियान ने बताया है कि उत्तराखंड के सभी जिलों में मार्च और अप्रैल महीने में 2023 की तुलना में 2024 में आग की घटनाओं में बढ़ोतरी देखी गई है। नैनीताल, चंपावत, अल्मोडा, गढ़वाल और पिथौरागढ सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र हैं। अप्रैल-महीने में दोनों वर्षों (2023 और 2024) में मार्च की तुलना में अधिक आग की घटनाएं हुई हैं। अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा ने बताया- अधिकतर स्थानों पर काबू भी पा लिया गया है। आग की घटना की सूचना मिलते ही टीम को मौके पर तुरंत भेजा जा रहा है। आज नैनीताल वन विभाग के बडोन और मनोरा, गढ़वाल मंडल के लैंसडौन और अल्मोड़ा के सिविल सोयम रेंज में आग लगी है।
आगजनी की अब तक हुई घटनाओं से 735 हेक्टेयर से जंगल को नुकसान पहुंचा है। कुमाऊं मंडल आग की घटनाओं से ज्यादा प्रभावित है।

CM धामी बोले- जिम्मेदार अफसरों पर एक्शन लेंगे
उत्तराखंड के CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा- आग बुझाने में हम लोग पूरा प्रयास कर रहे हैं। आर्मी और अन्य लोगों सहित सभी सामाजिक संगठनों से सहयोग की हमने अपील की है। जो अधिकारी इसमें जिम्मेदार होंगे, उनकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।

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