देहरादून । हरिद्वार संसदीय क्षेत्र से लोकसभा सांसद एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवभूमि विकास संस्थान द्वारा आयोजित बैठक में बुद्धिजीवों से संवाद स्थापित करते हुए कहा कि समाज में जन सामान्य से जुड़े विभिन्न विषयों के समाधान एवं विमर्श के लिए बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों के साथ विमर्श करने की आवश्यकता है, और इस विमर्श को अनवरत रूप से संचालित करने हेतु उन्होंने ‘गंग धारा: विचारों की अविरल श्रृंखला’ नाम से व्याख्यान माला प्रारंभ करने की वकालत की, उन्होंने कहा कि जिस प्रकार गंगा की अविरलता आदि-अनादि काल से बहती जा रही है उसी प्रकार ज्ञान की अविरलता जन सामान्य के जीवन की दुशवरियों को कम करने के लिए हर दौर से चलती आ रही है, आदिकाल में हमारे ऋषि-मुनि समाज के कल्याण के लिए अपने जीवन पर्यंत समर्पित रहते थे, आज भी शिक्षाविद और वैज्ञानिक आमजन की समस्याओं के समाधान के लिए कारगर शोध एवं अध्ययन संचालित कर रहे हैं,
इसलिए इन सभी शोध और अध्ययनों को जन सामान्य की समस्याओं के समाधान के लिए विमर्श करने हेतु यह व्याख्यान माला समर्पित रहेगी श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की गंगा की अविरलता, सृजनशीलता एवं दर्शन को हम सभी को समझना होगा गंगा के उद्गम से लेकर अमृत काल तक के कालखंड से जुड़े विभिन्न संदर्भों, परिवर्तनों एवं आयामों पर व्याख्यान माला का मुख्य विषय केंद्रित होगा. साथ ही राज्य से हो रहा पलायन, जलवायु परिवर्तन का कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों पर पढ़ रहा प्रभाव और हिमालय से जुड़े विभिन्न विषय विशेष तौर पर इकोसिस्टम सर्विसेज इस व्याख्यान माला के विमर्श के आयाम होंगे.
सांसद ने कहा कि आज घरेलू विवाद, आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति, समाज में युवाओं का नशे की बढ़ती प्रवृत्ति बहुत चिंताजनक विषय है इसके लिए आवश्यक है कि भारतीय जीवन दर्शन और मूल्य आधारित भारतीय संस्कृति से युवाओं का संवाद व परिचय कराया जाय तथा संयुक्त परिवार दर्शन से आज की युवा पीढ़ी का साक्षात्कार करना भी इस व्याख्यान माला के विषय होंगे.
श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि गंगा की अविरल धारा की तरह यह व्याख्यान माला अनवरत रूप से निरंतर समाज को ज्ञान रूपी रोशनी से प्रज्वलित करने का कार्य करेगी ताकि समाज को इन समस्याओं से समाधान के विकल्प उपलब्ध हो सकें.
देवभूमि विकास संस्थान द्वारा आयोजित इस बैठक में दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, महापौर श्री सुनील उनियाल ‘गामा’, श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ पी पी ध्यानी, प्रोफेसर यशपाल सुंदरियाल, प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट, प्रोफेसर आरपी ममगाई, प्रो रचना नौटियाल, प्रो आर सी डंगवाल, प्रो एस पी सती, प्रो दीपक भट्ट, प्रो रवि शरण दीक्षित, प्रो विजय श्रीवास्तव, डॉ सुधांशु जोशी, डॉ राजेश भट्ट, श्री सतेंद्र सिंह नेगी, उमेश रावत, श्री विपिन आदि उपस्थित थे. बैठक का संचालन प्रो एच सी पुरोहित ने किया.