चकराता । बिशु महासू महाराज को समर्पित है एक त्योहार है , अप्रैल के महीने में पड़ने वाला त्योहार उत्तराखण्ड के जनजातीय क्षेत्र जौंनसार- बावर में मनाया जाता है । बिशु में सर्वाधिक प्रसिद्ध धनुष-बाण का खेल होता है , जिसे लोक भाषा में ठोठा कहा जाता है ,इसमें भाग लेने वाले लोग एक मजबूत धनुष और तीर बनाते हैं, जो नकली लड़ाई के लिए आवश्यक होते हैं, जो इस त्योहार का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, पुराने मोज़े, पैरों के लिए ऊनी पैड और इस उद्देश्य के लिए अन्य सामग्री निकाल ली जाती है फिर एक दूसरे के पैरों पर बारी बारी से निशाना साधते है । यह खेल अपनी ताक़त और अपने को ऊँचा दिखाना का एक महत्वपूर्ण पल होता है जब आप हज़ारों की संख्या में खड़े लोगों के सामने अपने सटीक निशाने का मौजू पेश करते है ,यह लड़ाई दर्शकों के लिए एक नया आकर्षण लेकर आती है..
साथ ही बड़ा जनसमूह एक स्थान पर एकत्रित होकर ताँदी , हारुल, ठोठा नृत्य करते है जिसमें महिला – पुरुष पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर नृत्य करते है ।
जौनसार का पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित महिला-पुरुष इस त्यौहार में चार चाँद लगा देते है ।
जौनसार में रायगी,मनथात , ठाना डाँडा , मोइला आदि का बिशु प्रसिद्ध है ।