दून पुस्तकालय में तीन वृत्तचित्र फिल्मों का प्रदर्शन ।

देहरादून , 4 सितम्बर, 2024। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से संगीत और इसे रचने वाले लोगों पर केंद्रित तीन वृत्तचित्रों का प्रदर्शन आज सायं सभागार में किया गया। पीएसबीटी के सहयोग से प्राप्त इन फिल्मों को पर्दे पर निकोलस हॉफलैण्ड ने प्रदर्शित किया। पहली फिल्म’सो हेडन सो हॉडन’ थी। इसका निर्देशन,अंजलि मोंटेइरो और केपी जयशंकर ने किया है। इसकी अवधि ,52 मिनट है और इसका निमार्ण 2011 में हुआ। फिल्म अंग्रेजी, हिंदुस्तानी में है। दूसरी फिल्म ’मैश अप’ थी। इसका निर्देशन,पंकज बुटालिया, ने किया और 27 मिनट अवधि की यह फिल्म हिंदी में बनी हुई है।’ओर्माजीविकल (मेमोरी बीइंग्स)’ तीसरी फिल्म रही। इस फिल्म का निर्देशन, निर्देशन,सुधा पद्मजा फ्रासिंस ने किया है और यह 26 मिनट अवधि की है। यह फिल्म ,मलयालम में है।

’सो हेडन सो हॉडन’ भारत और पाकिस्तान को अलग करने वाले गुजरात के कच्छ के महान रण के किनारे रहने वाले देहाती मुस्लिम समुदायों के संगीत और रोजमर्रा के जीवन की यात्रा का बेहतरीन चित्रण करती है।वहीं ’मैश अप’ फिल्म में शैल और नदीम दो युवा किरदार उभरते हैं। ये दोनों नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन की बस्ती में रहते हैं। दोनों गरीब परिवारों से हैं, वे अपने संगीत के माध्यम से, रूढ़िवादिता से बाहर निकलने का सपना देखते हैं। वे ’पेनफुल रॉकस्टार’ नाम से एक संगीत समूह बनाते हैं,जो प्यार और टूटते दिल के गीत गाते हैं। यह फिल्म उनके सपने को प्रदर्शित करती है।

आखिर में दिखायी गई तीसरी फिल्म ’ओरमाजीविकल (मेमोरी बीइंग्स)’ एक प्रभाववादी फिल्म है जो उत्तरी केरल के कोझिकोड और उसके साधारण शहरवासियों के संगीत में आध्यात्मिक विसर्जन की तस्वीर पेश करती है। एक चिंतनशील निबंध जो एक संगीत संस्कृति को दर्शाता है जो महानगरीय है, इसमें स्थानीय और वैश्विक प्रभाव मजबूत हैं, यह शहर और उसके लोगों के संगीत और यादों की खोज करता है।

कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत किया और अन्त में निकोस ने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर नूतन डिमरी गैरोला, अरुण कुमार असफल, देवेंद्र कांडपाल, सुंदर बिष्ट,बिजू नेगी,मनोज कुमार, डॉ. लालता प्रसाद, मेघा विलसन, शैलेन्द्र नौटियाल, हिमांशु नौटियाल, इरा चौहान सहित शहर के अनेक फिल्म प्रेमी, रंगकर्मी, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक साहित्यकार सहित दून पुस्तकालय के अधिसंख्य युवा पाठक उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *