भारतीय ज्ञान परंपरा मे वैज्ञानिक सोच : प्रोफेसर दुर्गेश पंत

देहरादूनशिवम डोभाल । डीएवी (पीजी) कॉलेज, देहरादून में आयोजित दो दिवसीय “भारतीय ज्ञान प्रणाली और इसके भविष्य की संभावनाओं” में पहले दिन के आयोजन में डीएवी (पीजी) कॉलेज के सभागार में देश के कई नामी वक्ता/विचारकों ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे ।
भारतीय सभ्यता लाखों वर्ष पुरानी है, भारतीय समाज शताब्दियों से संचित ज्ञान का खजाना है और कला, साहित्य, परंपराओं, रीति-रिवाजों, भाषाओं, वास्तुकला, दर्शन आदि के रूप में परिलक्षित होता है। इसकी ज्ञान प्रणाली शुरुआत से ही व्यवस्थित और अखंड रही है। शताब्दियों से विकसित प्राचीन प्रथाएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित होती रहीं। भारतीय सभ्यता के हजारों वर्षों के इतिहास के साथ अखंड जीवित मौखिक परंपरा है जहां साहित्य में रचना का अर्थ पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से रचित और प्रसारित किए गए कार्य शामिल हैं। यही भारतीय तरीका और “वसुधैव कुटुंबकम” के माध्यम से सभी के कल्याण की वकालत करता है।

 

 

“उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी” के  डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर दुर्गेश पंत  ने अपने महत्वपूर्ण वक्तव्य में कहा कि भारतीय ज्ञान की परंपरा को हम अपने आज के पाठ्यक्रम का हिस्सा बना सकते हैं। जिससे समाज के युवा वर्ग को अपने भारतीय दर्शन की महानता समझ आए। हमे भारतीय दर्शन के प्रचार प्रसार या उसके पृष्टभूमि को शिक्षा व्यवस्था में लाने के लिए अनेक पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता हैं। साथ ही इनके सुझाव में भारतीय दर्शन को वैज्ञानिक रूपरेखा, और सोधकर्ताओ द्वारा अनेक प्रकार से सामने लाया जाना चाहिए। लोग जहां एक ओर पश्चिमी दर्शनार्थियों से ज्यादा प्रभावित हैं उसी सापेक्ष में भारतीय दर्शन उसकी पृष्ठभूमि बहुत मजबूत है। यहां तक कि कई पश्चिमी दर्शनार्थियों ने भारतीय इतिहास को खंगालकर हमारे वेदों और ग्रंथों के आधार पर अनेक कथन प्रतिपादित किए हैं। हमे भी इसी प्रकार भारतीय ज्ञान और दर्शन को करीब से समझने की आवश्यकता है । और इसके लिए इसको पाठ्यक्रम में शामिल करने के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी शोध करना चाहिए जिससे भारतीय ज्ञान की परंपरा की ज्योत को पूरे विश्व भर में प्रज्वलित कर सकें ।
अपने वक्तव्य में कहा की इस प्रकार की संगोष्ठीय कार्यक्रम से मदद मिलेगी है ।

 

 

सार संक्षेप पुस्तिका का विमोचन का विमोचन किया गया जिसमें देश के विभिन्न प्रदेशों से 100 से अधिक आलेख प्रस्तुत किए गए है , पुस्तिका पर बात करते हुए प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा की , इसमें आलेखों से नए शोध कि दिशाओं में अपार सहयोग मिलेगा ।

कार्यक्रम में डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर के आर जैन, डॉ डीके त्यागी,  डॉ वी के पंकज, प्रो रंधावा,  प्रोफेसर चौरसिया प्रोफेसर राम विनय, डॉ वीके दीक्षित प्रोफेसर प्रशांत सिंह, प्रोफेसर पंत एसजीआरआर कॉलेज,एसजीआरआर कॉलेज के प्राचार्य मेजर दिलीप, रमाकांत श्रीवास्तव, प्रोफेसर देवन शर्मा, डॉ प्रदीप कोठियाल, डॉ विमलेश डिमरी , डॉ अनूप मिश्रा, डॉ शैली, डॉक्टर नैना,शोधार्थी छात्र बड़ी संख्या में मौजूद रहें ।

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