देहरादून : महासंघ की मांग है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ एसएलपी को निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ सरकार रिव्यू दाखिल न करे। वर्ष 2018 के हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार ठोस नीति बनाते हुए नियमितीकरण की कार्यवाही शुरू की जाए । गोदियाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में उपनल कर्मियों के लिए स्पष्ट आदेश दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट भी हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सरकारी एसएलपी को निरस्त कर चुका है। अब रिव्यू के जरिए इस विषय को और उलझाने की कोशिश की जा रही है।
सोमवार सुबह सभी कर्मचारी 10 बजे से परेड मैदान के निकट एकत्र होंगे। वहां रैली सचिवालय को कूच करेगी। बैठक में उपनल महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष मीना रौथाण, जसपाल भंडारी, प्रदीप चौहान, रमेश डोभाल, नीतू कैंत्यूरा, प्रकाश, मनोज, अजय देव, जसपाल भंडारी मौजूद रहे।
उपनल कर्मियों को निगम महासंघ ने दिया समर्थनउ पनल कर्मचारियों के आंदोलन को राज्य निगम कर्मचारी महासंघ ने अपना समर्थन दिया है। महासंघ अध्यक्ष सूर्यप्रकाश राणाकोटी ने कहा कि उपनल कर्मचारियों के नियमितीकरण को लेकर हाईकोर्ट से स्पष्ट आदेश हो चुके हैं।
इसके बावजूद अभी तक नियमितीकरण को लेकर कोई आदेश नहीं किया जा रहा है। उपनल कर्मियों को समान काम का समान वेतन उपलब्ध कराया जाए। सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करने की बजाय कोर्ट के आदेश को सीधे लागू किया जाए।
महामंत्री नंदलाल जोशी ने कहा कि विभागों में 15 से 20 साल से उपनल कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें नियमित किए जाने में अब देर न की जाए।
दून अस्पताल में कार्य बहिष्कार उपनल कर्मचारियों ने दून अस्पताल में कार्य बहिष्कार किया और सचिवालय कूच में शामिल हुए। अस्पताल में हड़ताल के कारण दून मेडिकल कालेज अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई। अस्पताल में सबसे ज्यादा दिक्कत पंजीकरण व बिलिंग में हो रही है।
जबकि 15 दिन के पर्चे पर इलाज की व्यवस्था कर दी है। पर्चा बनाने और बिल कटवाने के लिए मरीजों को दो दो घंटे तक लाइन में लगना पड़ा। पर्ची समय पर नहीं बनने से 11 : 30 बजे तक भी डॉक्टरों के कक्ष के बाहर ओर जांचों ने सन्नाटा पसरा था।
हड़ताल की वजह से ऑपरेशन भी प्रभावित हुए। ओटी टेक्नीशियन सहित अन्य कर्मचारी उपनल के होने के कारण डॉक्टरों ने केवल छोटे केस ही लगाए है। अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 2000 मरीज आते हैं।