देहरादून । शिवम डोभाल । डीएवी (पीजी) कॉलेज, देहरादून में आयोजित दो दिवसीय “भारतीय ज्ञान प्रणाली और इसके भविष्य की संभावनाओं” में पहले दिन के आयोजन में डीएवी (पीजी) कॉलेज के सभागार में देश के कई नामी वक्ता/विचारकों ने अपने महत्वपूर्ण विचार रखे ।
संगोष्ठी की मुख्य अतिथि ,दून विश्वविधालय की वाईस चांसलर प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने अपने वक्तव्य में कहा की किसी भी संस्थान का भूतकाल से इसलिए आंकलन किया जाता है क्योंकि डीएवी कॉलेज ने उस समय शिक्षा का आलोक फैलाया जब पूरे उत्तराखंड में कोई और संस्थान यह कार्य नही कर रहा था . भारतीय ज्ञान परंपरा, नई शिक्षा नीति का न केवल घटक है बल्कि उसका अभिन्न हिस्सा है ।
यह सेमिनार जो आयोजित हो रहा है यह हमें नए शिक्षा सत्र में भारतीय ज्ञान परंपरा को पढ़ाने की एक कार्य प्रणाली में जरूरी सहयोग करेगा क्योंकि वर्तमान पीढ़ी के छात्र साइंटिफिक लॉजिक में समझना चाहता है , इसलिए हमें भारतीय ज्ञान प्रणाली के वैज्ञानिक कार्य शैली को विकसित करने के लिए हमें यह समझना होगा कि भारतीय शिक्षाविदों को पढ़ना होगा और उसका उद्गम, और वैज्ञानिक शोध करके लोगों के सामने पेश करनी होगी ।
भारतीय ज्ञान परंपरा सत्य को पाने का संकल्प नही है बल्कि सत्य के दर्शन करने का संकल्प है .
हमें आपने साहित्य और भारतीय ज्ञान की परंपरा की वैज्ञानिक कार्य शैली से पेश करना होगा और इसके लिए हमें दुनिया में कहीं घूमने की जरूरत नहीं है बल्कि भारत में ही सब मिल जायेगा बस हमें अपने वेद, पुराण का गहन अध्ययन करना होगा .
इस दौरान सार संक्षेप पुस्तिका का विमोचन का विमोचन किया गया जिसमें देश के विभिन्न प्रदेशों से 100 से अधिक आलेख प्रस्तुत किए गए है , पुस्तिका पर बात करते हुए उत्तराखंड स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर जनरल प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा की , इसमें लिखें गये आलेखों से नए शोध कि दिशाओं में अपार सहयोग मिलेगा ।
कार्यक्रम में डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर के आर जैन, डॉ डीके त्यागी, डॉ वी के पंकज, प्रो रंधावा, प्रोफेसर चौरसिया प्रोफेसर राम विनय, डॉ वीके दीक्षित प्रोफेसर प्रशांत सिंह, प्रोफेसर पंत एसजीआरआर कॉलेज,एसजीआरआर कॉलेज के प्राचार्य मेजर दिलीप, रमाकांत श्रीवास्तव, प्रोफेसर देवन शर्मा, डॉ प्रदीप कोठियाल, डॉ विमलेश डिमरी , डॉ अनूप मिश्रा, डॉ शैली, डॉक्टर नैना,शोधार्थी छात्र बड़ी संख्या में मौजूद रहें ।