टिहरी। मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून लागू किए जाने की मांग को लेकर टिहरी में मूल निवास स्वाभिमान महारैली का आयोजन किया गया। रविवार को हुई महारैली में टिहरी समेत प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग शामिल हुए।
मूल निवास, भू-समन्वय संघर्ष समिति के आहृान पर हुई इस महारैली में प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों ने शिरकत की। कार्यक्रम के तहत नई टिहरी सुमन पार्क से गणेश चौराहा बौराड़ी तक महारैली निकाली गई। महारैली से पहले सुमन पार्क में सभा का आयोजन किया गया।
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजन मोहित डिमरी ने कहा कि टिहरी त्याग और बलिदान की भूमि है। देहरादून और हल्द्वानी में मूल निवास स्वाभिमान महारैली की सफलता के बाद टिहरी में महारैली हो रही है। टिहरी में हुई इस महारैली का संदेश पहाड़ के गांव-गांव तक जाएगा और लोग अपने अधिकारों के लिए जागरूक होंगे।
मूल निवास भू-कानून समन्वय समिति के सह संयोजनक लुशुन टोडरिया ने कहा कि 40 से ज्यादा आंदोलनकारियों की शहादत से हासिल हुआ हमारा उत्तराखण्ड राज्य आज 23 साल बाद भी अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है। उन्होने कहा कि 23 साल बाद भी यहां के मूल निवासियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया और अब तो हाल इतने खतरनाक हो चुके है कि मूल निवासी अपने ही प्रदेश में दूसरे दर्जे के नागरिक बनते जा रहे है।
महारैली इन संगठनों ने दिया समर्थन
उत्तराखण्ड क्रांति दल, राष्ट्रीय रीजनल पार्टी, पहाड़ी स्वाभिमान सेना, समानता मंच, वन यूके, टिहरी व्यापार सभा, उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच, सत्यमेव जयते, लक्ष्य ग्रुप छात्र संगठन, नागरिक मंच टिहरी, बेरोजगार संघ, बार एसोसिएशन टिहरी, सेवानिवृत कर्मचारी संगठन, गौरव सेनारी सहित अन्य संगठन प्रमुख थे।
आंदोलन का व्यापक बनाने की रणनीति
टिहरी में हुई रैली के बाद मूल निवास आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए जल्द ही अगले कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। समन्वय समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 और मजबूत भू-कानून लागू करने को लेकर चल रहे आंदोलन को प्रदेशभर में जाया जाएगा। उन्होंने बताया कि चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करेगी, जिसके तहत गांव-गांव जाने से लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं से संवाद किया जाएगा। इस बाबत जल्द ही कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।