पिथौरागढ। जिला स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समिति की बैठक जिलाधिकारी रीना जोशी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट परिसर स्थित वीसी कक्ष में संपन्न हुई। बैठक में वन, अग्निशमन, लोक निर्माण विभाग, पीएमजीएसवाई, आपदा आदि विभागों के अधिकारियों सहित विभिन्न वन पंचायतों के सरपंच उपस्थित रहे। बैठक में जिला क्षेत्र अंतर्गत वनाग्नि को रोकने के लिए विस्तृत चर्चा हुई।
इस दौरान जिलाधिकारी ने डीएफओ को निर्देश दिये कि जनपद क्षेत्र के अंतर्गत वनाग्नि को रोकने के लिए वन पंचायतों के लोगों को जागरूक किया जाय। वनाग्नि की दृष्टि से जनपद के संवेदनशील जोन के अंतर्गत स्थित वन पंचायतों में निवासरत लोगों को आग बुझाने का उचित प्रशिक्षण दिया जाए तथा आग बुझाने सम्बन्धी आवश्यक उपकरण भी वितरित किए जायें।
इसके साथ ही जिलाधिकारी ने डीएफओ को यह भी निर्देश दिए कि विगत वर्ष वनाग्नि को रोकने में बेहतर कार्य करने वाली वन पंचायतों को सम्मानित किया जाय।
वन पंचायतों के सरपंचों के सुझाव पर जिलाधिकारी ने डीएफओ को निर्देश दिये कि जनपद के ऐसे क्षेत्र जहां अत्यधिक मात्रा में पिरूल(चीड़ की पत्तियां) पाया जाता है ऐसी वन पंचायतों के लोगों को पिरूल से ब्रिक्स(कोयला) बनाने का प्रशिक्षण दिया जाए तथा कोयला बनाने संबंधी उपकरण सांचा उपलब्ध कराया जाए ताकि पिरूल का लंबी अवधि के लिए सदुपयोग सुनिश्चित हो सके।
वहीं जिलाधिकारी ने वन पंचायतों के सरपंचों से कहा कि वे वनों में आग लगाने वाले व्यक्तियों की सूचना वन विभाग को दें ताकि ऐसे लोगों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
वन सरपंचों की मांग पर जिलाधिकारी ने डीएफओ को निर्देश दिए कि वन पंचायतों में ट्रेक रूट/बटिया निर्माण के प्रस्ताव तैयार किए जाए ताकि वनों में आग लगने पर संबंधित क्षेत्र में पहुंचने में लोगों को सुविधा रहे तथा आग बुझाने का कार्य सरलता से निपट सकें।
वहीं जिलाधिकारी ने सड़क निर्माण से जुड़े विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि सड़क डामरीकरण के दौरान इस बात का ध्यान रहे कि तारकोल आदि पिघलाने के लिए जलाई जा रही अग्नि से नजदीकी वनों में आग न लगने पाए।
बैठक में डीएफओ जीवन मोहन दगाड़े, ईई पीएमजीएसवाई नागेंद्र बहादुर, एई ग्रामीण निर्माण विभाग नीरज ओली,जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी भूपेंद्र महर आदि उपस्थित थे।